इमारत के पीछे से उदित होता हैं जहां से कोई किरण, शायद हर दिल की झोंपड़ी तक नहीं पहुंच इमारत के पीछे से उदित होता हैं जहां से कोई किरण, शायद हर दिल की झोंपड़ी तक न...
दिल को नही मालूम कि वो क्या कर बैठा दिल को नही मालूम कि वो क्या कर बैठा
दुनिया को मिले जहाँ स्वार्थ वो तो बस वही होगा। दुनिया को मिले जहाँ स्वार्थ वो तो बस वही होगा।
वो कभी नहीं आया,उम्मीद की रौनी पर बादल मँडराते रहे,और देह की गठरी छन्न-छन्न बुझती रही। वो कभी नहीं आया,उम्मीद की रौनी पर बादल मँडराते रहे,और देह की गठरी छन्न-छन्न बुझत...
ध्यान में मेरे गुरुदेव तुम हो... ध्यान में मेरे गुरुदेव तुम हो...
आज सुबह नज़ारा कुछ अलग था आज सुबह नज़ारा कुछ अलग था